Jeevan maraner seemana chharaye
জীবনমরণের সীমানা ছাড়ায়ে,
বন্ধু হে আমার, রয়েছ দাঁড়ায়ে ॥1
এ মোর হৃদয়ের বিজন আকাশে তোমার মহাসন ,
আলোতে ঢাকা সে,
গভীর কী আশায় নিবিড় পুলকে -
তাহার পানে চাই দু বাহু বাড়ায়ে ॥2
নীরব নিশি তব চরণ নিছায়ে
আঁধার-কেশভার দিয়েছে বিছায়ে।
আজি এ কোন্ গান নিখিল প্লাবিয়া
তোমার বীণা হতে আসিল নাবিয়া!
ভুবন মিলে যায় সুরের রণনে,
গানের বেদনায় যাই যে হারায়ে ॥3 खड़ा
जीवन और मृत्यु , दोनोका सीमा से आरपार ,
मेरे दोस्त, मेरे प्रभु , आपही तो खड़े रहा हो।
मेरे हृदय की सन्नाटा आश्मान में ,
आपका सिंघासन ,
फिर वह प्रकाश आच्छादित आपका ही ज्योतिसे !
गहरी कोई आशा में, गहरे कोई आनंद में -
यही दिशामे अपनी दो बाहों को ऊपर उठाके,
खड़ा रहा हूँ मैं।
खामोश रात आपके चरन निहाई
अंधेर-केशर आशमाँ में बिस्तरा ,
आज यह गीत निखिल प्लाबिया
आपकी वीणा से आई नबीया नबीया।
दुनिया मेल खाती है, आपका सुरताल में
मैं उस गाने के दर्द में, मैं भी मेरा दिल खो बैठा हूं।
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